Saturday 20 December 2014

तारीफ़ / Praise / Appreciation

तारीफ़ / Praise / Appreciation
Be liberal in praise. Praise is also manifestation of love and respect. Say whatever good you see in someone. It energizes the person to do even better. It brings happiness and self respect for the person being praised. It makes the relationships better. Take care that the praise is true or real. False praise becomes flattery done to take undue benefits.
दूसरों के मामले में हमें तारीफ़ करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए. हमें जिसकी जो बात अच्छी लगे उसे ज़रूर कह देनी चाहिए. तारीफ इंसान को संतुष्टि और नई ऊर्जा देती है और उसका स्वयं के प्रति सम्मान बढ़ाती है. प्रशंसा से आपसी सद्भाव भी बढ़ता है. 
लेकिन तारीफ़ में झूठ की  मिलावट कभी नहीं होनी चाहिए. झूठी तारीफ़ चमचागिरी या चापलूसी कहलाती है क्योंकि उसमे ईमानदारी की कमी और स्वार्थ की अधिकता होती है. पीठ पीछे की गई तारीफ तो और अधिक विश्वसनीय होती है. निंदा की तरह अनुपस्थिति में की गई तारीफ भी घूम फिर कर उस व्यक्ति तक पहुँच ही जाती है.
कई लोग इसलिए असंतुष्ट, नाखुश और बीमार रहते हैं की वे खूब मेहनत करते हैं किन्तु अपेक्षित फीडबैक, प्रशंसा, शाबासी, प्रोत्साहन और सम्मान नहीं मिलती. धीरे धीरे वे काम करना ही छोड़ देते हैं. अच्छा बॉस तारीफ़ के बल पर खूब काम ले सकता है.
हालांकि आत्मसंतुष्टि और स्वमान या आत्मसम्मान में रहने वाले व्यक्ति के लिए ये चीज़ें बहुत ज़रूरी नहीं होती पर उसके लिए बहुत अभ्यास, साधना और आत्मचिंतन की ज़रुरत होती है. साथ ही हमारी जो तारीफ की जा रही है उसकी सच्चाई परखने में भी हमें सक्षम होना चाहिए ताकि हम किसी के द्वारा सिर्फ इस्तेमाल न किया जाएँ.
तारीफ कितनी की जाए, किन शब्दों में की जाए ये भी ध्यान देने योग्य बातें हैं. खास तौर पर पुरुष द्वारा सहकर्मी स्त्री की या स्त्री द्वारा सहकर्मी पुरुष की प्रशंसा करते हुए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए ताकि उस का कुछ अन्य अर्थ न निकला जाए.

Friday 19 December 2014

Why we lose friends?

FRIENDSHIP LOSS / BREAK UP

  Why we lose friends? Which mistakes we do? We keep our standards too high that nobody fits in. We search for perfection in everybody. We do not ignore or forgive their weaknesses. We expect more than they are able to do. We do not realize / keep in mind that no two people are same in this world. Everyone will behave differently guided by his thoughts, values and attitudes (sanskaars). We feel bad when they do not miss our presence. We do not allow them time away from us. We try to make them our property.
     We interfere in their lives to an extent not desirable. We do not see that they are uneasy to disclose everything or uneasy to come too close.We do not have hundred percent trust. We make guesses about them. We do not become ready to repair some of our ways / behaviour they dislike.We want to tie them to ourselves. Do not allow them to make other friends. When we try to possess them ...........we lose them.
      दोस्ती क्यों छूट जाती हैं? हम क्या गलती करते हैं?  
  • असल में हम अपने दोस्त के प्रतिमान बहुत ऊंचे बनाते हैं. हम उनमे परफेक्शन ढूंढते हैं. उनकी कमियों को माफ़ नहीं करते. उनसे बहुत उम्मीदें और अपेक्षाएं रखते है.
  • हम भूल जाते हैं की दुनियां में कोई दो व्यक्ति एक से नहीं हो सकते. हर कोई अपने विचरों, मूल्यों और संस्कारों के अनुसार व्यवहार करता है.
  • वे हमे मिस न करें तो हमें अच्छा नहीं लगता. अपने से दूर समय नहीं बिताने देते. उन पर बहुत अधिक हक जमा लेते हैं. 
  • उनके जीवन में अत्यधिक दखल देते हैं. उनके असहज होने का भी ध्यान नहीं रखते.
  • उन पर अविश्वास करते हैं, शक करते हैं और उनके बारे में अंदाज़े लगते हैं.
  • जो उन्हें बहुत अखरती हैं हम अपनी उन कमियों को दूर नहीं करते.
  • उन्हें अपने से ही बाँध कर रखना चाहते हैं. अन्य दोस्त बनाने की आज़ादी नहीं देते. .....................और फिर       उन्हें खो देते है.