Thursday 30 April 2015

निरहंकारी / Egoless

निरहंकारी कौन? Who is egoless?

अपनी विशेषताओं को ईश्वर की देन समझते हैं. अपने सभी कर्म व सफलताएँ ईश्वर को समर्पित करते हैं.·       
 ये औरों से सम्मान की मांग नहीं करते बल्कि औरों को सम्मान देते हैं. बेशक कोई अपमान करने का प्रयास करे, ये अपने को कभी अपमानित या आहत महसूस नहीं करते. ये स्वयं को स्वयम सम्मान देते हैं.·         स्वयम को श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ नहीं समझते. अपने से छोटों को भी सम्मान देते हैं. छोटों से सीखने में शर्म नहीं करते.

 ये औरों से रूठते नहीं हैं और बार बार माफ़ी भी नहीं मंगवाते. लेकिन गलती होने पर उसे जल्द स्वीकार कर लेते हैं और माफ़ी मांगने में देर नहीं लगाते. ये हठी नहीं होते. स्वयम को बार बार सही व औरों से बेहतर  सिद्ध करने का प्रयास नहीं करते.  

औरों को भी जल्दी माफ़ कर देते हैं. राई का पहाड़ नहीं बनाते. बदला लेने का मौका नहीं ढूंढते.
ये विनम्र होते हैं. अपनी निंदा को सहजता से लेते हैं और अपनी कमी दूर करने का प्रयास करते हैं.
अपना सामान उठा कर चलने में, सफाई का काम करने में शर्म नहीं करते.
अपनी योग्यताओं का ढिंढोरा नहीं पीटते. अपने मुँह मियाँ मिटठू नहीं होते. ये नहीं कहते कि मेरे बिना फलां काम संभव न था.
औरों को आगे बढ़ाते हैं. हर जगह मैं ही आगे रहूँ ये भावना नहीं रखते.
ये सब के साथ मिलजुल कर रहते हैं. बिना मांगे मदद करते हैं अर्थात स्वतः सहयोगी होते हैं. किसी को मुश्किल काम दे कर फिर ये इंतज़ार नहीं करते की देखें अब मेरे पास आए बिना इस काम को कैसे करेगा.

The egoless person-


Considers his virtues and abilities as God's gift. Dedicates his work and success to God.
Does not demand respect from others but gives respect. If anybody tries to disrespect he is determined not to feel offended. He is self respecting.
Does not think himself better than others and look down upon others. Respects the persons younger or junior to him. Does not feel shame in learning things from juniors.
Does not take offense and does not make others apologize repeatedly. When he does something wrong, admits it easily and does not delay in apologizing. He will not be stubborn or obstinate. He does not prove himself right and better again and again.
He forgives easily. Does not magnifies small things. Does not take revenge.
He is polite. Accepts his criticism easily and tries to rectify his wrong behaviour.
Does not feel inferior in picking his own luggage and doing cleaning work.
Does not always talk about his abilities and skills. Does not believe in self praise. Does not say that the work was not possible to be completed without him. 
Helps others in progressing and joining the front line. Does not want that he should be visible everywhere and be ahead of others.
Works as a team. Offers help to others and is very cooperative. Does not give difficult tasks to others and then wait that how will it be accomplished without his help.

Wednesday 29 April 2015

स्वच्छता / Cleanliness

स्वच्छता
Cleanliness in preparation of food
Trim your nails. Tie your hair. Make your clothing free from fallen hair. Take a bath, wash your hands and then enter the kitchen.
Clean the kitchen shelves, gas stove and sink. Then start cooking. Keep the containers clean.
Clean the gadgets from outside. Clean the gadgets like refrigerator from inside as well.
Do not scratch or itch anywhere on your body. Nails will collect microbes, dead skin, dirt, etc.
Cover the cuts on your skin using a medicated waterproof tape. 
Cleanliness in having meals
Choose a clean place to sit. Use clean utensils. Eat with washed hands.
Consuming alcohol, nonveg, eggs, onion and garlic and smoking cigarettes, etc. means consuming evils. These make the body odour fowl and the mind unrestful and unrighteous.
भोजन सम्बन्धी स्वच्छता
  • नहा कर, साफ़ हाथों से, साफ़ रसोई में बनाना.
  • साफ़ जगह बैठ कर, साफ़ बर्तनों में, साफ़ हाथों से खाना.
  • धुम्रपान, शराब व अन्य नशीले पदार्थ, माँस, मछली, लहसुन, प्याज, अंडे ये सब तामसिक हैं. इन्हें खाने से तन दुर्गंधित बनता है.
शारीरिक स्वच्छता 
  • तन के हर हिस्से की सफाई पर ध्यान देना जैसे नाखून, सिर, एड़ियाँ, पैर, दांत आदि.
  • शौच के बाद हाथ साबुन से धोना, स्नान करना व पूरे वस्त्र बदलना.
  • सिर व शरीर से पसीने की बदबू न आना.
  • जूते व जुराबों से बदबू न आना.
  • मैले व दुर्गन्ध वाले वस्त्र न पहनना.
घर की स्वच्छता 
  • घर में सामान कम रखना.
  • सामान को व्यवस्थित रखना.
  • घर को कीड़े मकौड़ों से मुक्त रखना.
  • घर का कूड़ा गली में न छोड़ना.
  • घर के हर हिस्से की नियमित सफाई करना.
  • घर की सफाई में हर सदस्य द्वारा योगदान देना.
वातावरण की स्वच्छता 
  • गली, ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, बस, ट्रेन, व अन्य सार्वजनिक स्थानों को साफ़ रखने में सहयोग देना.
  • कूड़ा म्युनिसिपल कमेटी के निर्देशानुसार ही निपटाना.
  • कूड़ा कम पैदा करना- कम खरीदारी, लम्बा इस्तेमाल/ बार बार इस्तेमाल व रीसाइकिल करना.
  • कूड़ा बढ़ने वाली डिस्पोजेबल चीज़ें कम प्रयोग करना. 


Monday 27 April 2015

दूरदर्शी (Foresighted)

दूरदर्शी (Foresighted)

दूरदर्शी व्यक्तियों में पूर्वानुमान व पूर्वाभास की क्षमता होती है. इन्हें समय के बदलाव की दिशा का अंदाज़ा होता है. ये औरों से आगे की सोचते हैं. अगली पीढ़ियों के लिए भी सोचते हैं व उनकी भलाई तथा सुख का इंतज़ाम करते हैं. ये अच्छे योजनाकार होते हैं इसीलिए ये विकास के कार्यों में भी योगदान देते हैं.

ये अपने व औरों के अनुभवों से सीखते हैं. ये अच्छे सलाहकार होते हैं. इनके पास समस्याओं के समाधान होते हैं. लोग इनसे राय लेने आते हैं. ये नेतृत्व के गुण वाले व औरों के लिए पथ प्रदर्शक होते हैं. इनकी सोच गहरी व दृष्टि विशाल होती है. इनकी विश्लेषण करने की क्षमता भी बढ़िया होती है. ये फायदे या नुकसान का अंदाज़ा पहले ही लगा लेते हैं. ये किसी समस्या के कई समाधानों पर विचर करने की क्षमता रखते है व उनके दूरगामी प्रभावों को भी देख पाते हैं. इनकी निर्णय शक्ति अच्छी होती है. इन्हें लक्ष्य स्पष्ट होते हैं जिनकी तरफ ये बिना भटकाव एकाग्रता से बढ़ते हैं. इससे समय और शक्ति बेकार नहीं होते और ये सफलता को पाते हैं.

Sunday 26 April 2015

गुणग्राही कौन? / Who is Appreciative?

गुणग्राहकता / Appreciative- निर्दोष दृष्टिकोण 
गुणग्राही कौन? / Who is Appreciative?

1.       गुणग्राही व्यक्ति औरों की निंदा करने से बचते हैं.       He does not criticize. 
2.       दूसरों की प्रशंसा के बहाने ढूंढते हैं.                             He finds ways to always praise others.
3.       पक्षपाती नहीं होते.                                                   He is not partial or biased.
4.       रूठते या नाराज़ नहीं होते.                                        He does not take offence.
5.       सहनशील और क्षमाशील होते हैं.                              He is tolerant and forgiving.
6.       अहंकारी नहीं होते.                                                  He is not egoist. 
7.       सदा संतुष्ट रहते हैं.                                                He is always contended.
8.       दूसरों से अधिक मांग नहीं करते.                            He is not very demanding.
9.       जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं.                                       He is easy to please.
10.   सबसे प्रेम रखते हैं.                                               He loves everybody.
11.   सबके लिए सदभावना शुभकामना रखते हैं.           He has good wishes for everybody.

सहयोग (Cooperation)

सहयोग (Cooperation)

अर्थ- इंसान की क्षमताएँ व संसाधन सीमित होते हैं अतः सहयोग की ज़रूरत होती है. मिल जुल कर एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य करना सहयोग कहलाता है. सहयोग करने वाले एक दूसरे को फायदा पहुंचाते हैं. एक दूसरे के विरोध में या एक दूसरे की प्रतियोगिता में काम न करके एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए काम करते हैं. अलग अलग न चल कर एक टीम की तरह चलना. सहकारिता, सहभागिता, संयुक्त कार्य,  सामूहिक कार्य, टीम कार्य, साझेदारी इसी से सम्बन्धित शब्द हैं.

किस प्रकार का सहयोग?
·         श्रम का सहयोग
·         वाणी द्वारा ज्ञान व मार्गदर्शन का सहयोग
·         धन का सहयोग
·         किसी को समय देने का सहयोग
·         संकल्पों या विचारों द्वारा वायुमंडल परिवर्तन का सहयोग.
·         हर्षित चेहरे का सहयोग
·         चाल चलन द्वारा गुण दान का सहयोग.
·         उमंग उत्साह बढ़ने का सहयोग.
·         अपने विशिष्टता, कला व कुशलता  का सहयोग.

फायदे
·         कम समय में कार्य पूरा होता है.
·         श्रम, धन आदि की कमी से कार्य रुकता नहीं.
·         जिसमे जो गुण, विशेषता या श्रेष्ठता है वह काम आती है.
·         लोग एक दूसरे के पूरक बनते हैं. 
·         सहयोग से मुश्किल व असम्भव दिखने वाले कार्य भी आसान व सम्भव हो जाते हैं.
·         सहयोग से ही महान कार्य संपन्न होते हैं.  
·         संस्थाएं व संगठन सहयोग से ही चल पाते हैं.
·         विकास, उन्नति या प्रगति सहयोग से ही प्राप्त होती है.
·         अकेले काम करना नीरस हो सकता है किन्तु मिल कर करने से वह रोचक हो जाता है.
·         सहयोग से अक्षम आत्मा को मदद मिलती है बच्चे, बूढ़े, बीमार या अपंग.
·         दूसरों को आगे बढ़ाने से स्वयं भी आगे बढ़ते हैं.

कौन बनता है सहयोगी?

शुभचिंतक, सर्व के कल्याण की भावना वाला, रहमदिल, सहनशील, यज्ञ स्नेही, शिव स्नेही, सर्व स्नेही, स्वार्थ रहित व्यक्ति ही सहयोगी बनता है. 

Saturday 25 April 2015

रहमदिल (Merciful)

रहमदिल (Merciful)
Meaning: Forgiving, compassionate, kind, pitying, lenient 
Charcteristics: 
  • One who does not hate.
  • Who helps everyone.
  • Supports the weak.
  • Does not make fum of someone.
  • Not revengeful.
  • Praises all.
  • Does not hurt.

अर्थ - दयालु, मेहरबान, कृपालु, तरस करने वाला.

लक्षण
·         किसी से नफरत या घृणा न करना.
·         निंदा करने वाले की भी प्रशंसा करना.
·         दोष भूलकर मदद करना.
·         कमज़ोर को सहारा देना.
·         किसी की कमी कमज़ोरी पर न हँसना.
·         किसी की कमी कमजोरी औरों से न कहना.
·         उसे स्वयम भी उसकी कमजोरी युक्ति से बताना ताकि उसे बुरा न लगे.
·         किसी की कमी कमज़ोरी दूर करने या छोड़ने में उसकी मदद करना.

रहम किस पर?
·         जिसके रहन सहन में, शरीर में या स्वभाव संस्कार में कोई कमी हो. जैसे असुन्दर नैन नक्श वाला, सांवला या अपंग हो, चाल - ढाल, डील - डौल में दोष हो, व्यसनी या अपराधी हो, गरीब या बीमार हो, बदतमीज़ या क्रोधी हो.
·         जिसे संबंधों से दुःख मिला हो या किसी अन्य प्रकार से दुखी हो.
·         स्वयं पर रहम – आत्मा पर.  आत्मा को (स्वयम को) दुर्गुणों या विकारों से मुक्त करवाना.
·         अपने शरीर पर भी रहम. शरीर को स्वस्थ व सलामत रखना ताकि आत्मा उसमें रह सके.
·         अपने से कमतर आर्थिक व सामाजिक स्थिति वालों पर रहम जैसे कनिष्ठ/ जूनियर, मज़दूर, नौकरों पर रहम.
·         अपने से शारीरिक रूप से कमतर लोगों पर रहम जैसे बच्चे, स्त्रियाँ और बुज़ुर्ग.

फायदे
विश्व्कल्याणकारी बनेंगे, दुआएं पाएंगे, सर्वप्रिय बनेंगे, प्रभुप्रिय बनेंगे, आत्मसम्मान आएगा, दुश्मन भी दोस्त बनेंगे, महान बनेंगे.

कैसे बनें रहमदिल?

दूसरों की परिस्थिति में स्वयम को रख कर देखने से. आत्मिक दृष्टि रखने से. बेहद स्नेही बनने से. निरंकारी बनने से. 

यथार्थता / सटीकता (Accuracy)

यथार्थता / सटीकता  (Accuracy)
कार्य को बिलकुल वैसे करना जैसे की उसे किया जाना चाहिए. एकदम सही और सटीक. शुद्धता, सूक्ष्मता, स्पष्टता से और सही विधि से (With precision, exactness or correctness).
लक्षण
·         यथार्थता के गुण वाले व्यक्ति किसी कार्य को पूरा करने के लिए बताई गई विधि को पूरी निष्ठा से अपनाते हैं. निर्देशानुसार ही कार्य करते हैं. आज्ञाकारी होते हैं, नियमों का उल्लंघन नहीं करते.
·         कामचलाऊ काम नहीं करते क्योंकि उससे कामचलाऊ उपलब्धियां होती हैं. आलस्य के वश हो कर कार्य में कमी नहीं छोड़ते.  
·         कार्य को बारीकी से समझ कर फिर करते हैं. कार्य में सफलता पाने के लिए हर पहलू पर पूरा पूरा ध्यान रखते हैं, कहीं भी ढील नहीं करते.
·         मजबूरी से नहीं, दिल से काम करते हैं.
·         इन पर नज़र नहीं रखनी पड़ती, इनका काम हमेशा ठीक ही पाया जाता है.
·         लोगों की उम्मीद से बेहतर काम कर के लाते हैं.
·         कार्य को पूरी क्षमता, सुघड़ता व खूबसूरती से करते हैं.
·         शोर्ट कट अपना कर गुणवत्ता से समझौता नहीं करते.
फायदे
·         कार्य में प्रवीणता/ दक्षता/ महारत हासिल करते हैं.
·         प्रयास विफल नहीं होते व कार्य करते हुए दिशा नहीं भटकते जिससे समय व श्रम बेकार नहीं जाता.
·         गलतियाँ न करने के कारण कम समय में लम्बी दूरी (अधिक प्राप्ति) तय करते हैं.
·         औरों से कम समय में लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं अतः अधिक सफल माने जाते हैं.
·         इनके किये कार्य की गुणवत्ता औरों के काम से बेहतर होती है.
·         बेहतरीन उपलब्धियां होती हैं. जो काम अन्य नहीं कर पाते ये उसे भी संभव बनाते हैं.
·         औरों के लिए आदर्श बनते हैं.
·         कार्य अच्छी रीति करते करते विशेष योग्यताएं व सामर्थ्य विकसित हो जाते हैं जो औरों में नहीं होते.
·         विशेष स्नेह व सम्मान के अधिकारी बनते हैं.
·         भविष्य में विशेष व बड़ी जिम्मेदारियां सौंपने के योग्य इन्हें समझा जाता है.

सटीकता कैसे आए?
·         बताई जा रही बात को पूरे ध्यान से सुनना.
·         अतिरिक्त अध्ययन करके अपने ज्ञान में इज़ाफ़ा करना.
·         ज़रूरी बातों को लिख लेना ताकि कुछ भूल न हो.
·         बताई गई सावधानियों व सुरक्षा सम्बन्धी हिदायतों का गंम्भीरता से पालन करना.
·         कार्य को पर्याप्त समय देना जितना कि सही गुणवत्ता पाने के लिए ज़रूरी हो.
·         उस कार्य को अति महत्व देना अर्थात ज़रूरी समझना कि उसे सटीकता से करना ही होगा.

·         एकाग्रता से कार्य करना. पूरा ध्यान कार्य पर ही हो, इधर उधर की फ़ालतू बातों या गैरज़रूरी चीज़ों में नहीं. एकाग्रता का अभ्यास किया जाना चाहिए, जैसे की मेडिटेशन या ईश्वर से योग लगाना.

Thursday 23 April 2015

मधुरता / sweetness

वाणी में मधुरता का अर्थ है कि हमारे बोल में इस प्रकार के लक्षण हों या ऐसा प्रभाव हो कि सुनने वाले का मन शांत और प्रसन्न बना रहे, उसके मन में हमारे प्रति नकारात्मक विचार न आएं और उसके चेहरे पर ख़ुशी और संतुष्टि बनी रहे. ध्यान रहे कि मीठा बोलते समय मन के भीतर भी मिठास हो नहीं तो आपका व्यवहार नकली ही लगेगा.
प्रेम, स्नेह और सम्मान में कहे गए शब्द मधुर होते हैं जैसे प्रेरणादायक शब्द, सहानुभूति के शब्द और प्रशंसा के शब्द. जबकि क्रोध, इर्ष्या या अहंकार के वश कहे गए शब्द कटु होते हैं जैसे उपहास करना या मज़ाक उड़ाना, व्यंग्य या कटाक्ष करना, ताने मारना, कमी निकालना या निंदा करना, ऊंची आवाज़ में बोलना जैसे डरना, धमकाना या रौब जमाना.
मधुरभाषी होने का फल भी मधुर होगा. मधुरभाषी होने से सब की दुआएं पाएंगे, लोगों के साथ कर्मों के नकारात्मक खाते नहीं बनेंगे, सब से मधुर सम्बन्ध बनेंगे जिससे सब का सम्मान व सहयोग भी पाएंगे. व्यवहार में मधुरता होने से दुश्मन घटेंगे और दोस्त बढ़ेंगे. सर्व के प्रिय बनेंगे तो सुख आएगा और जीवन आसान होगा.

वाणी में मधुरता लाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. अड़ोसी पड़ोसी, सहकर्मी, मित्र सम्बन्धी सभी को एक परिवार का समझेंगे तो स्नेह की दृष्टि पनपेगी. सभी को एक ही ईश्वर की सन्तान समझने से द्वेष की दृष्टि नहीं रहेगी. अहंकार घटाने से स्वयम को श्रेष्ठ व औरों को तुच्छ नहीं समझेंगे. बदले की भावना भी खत्म होगी. संतुष्ट रहने व रहमदिल बनने से भी वाणी शीतल बनेगी. आत्मिक स्वरूप में रहने से व ईश्वरीय स्मृति में रहने से ये सब सम्भव होगा और स्वयम तथा वाणी पर नियंत्रण आएगा.