Saturday 25 April 2015

यथार्थता / सटीकता (Accuracy)

यथार्थता / सटीकता  (Accuracy)
कार्य को बिलकुल वैसे करना जैसे की उसे किया जाना चाहिए. एकदम सही और सटीक. शुद्धता, सूक्ष्मता, स्पष्टता से और सही विधि से (With precision, exactness or correctness).
लक्षण
·         यथार्थता के गुण वाले व्यक्ति किसी कार्य को पूरा करने के लिए बताई गई विधि को पूरी निष्ठा से अपनाते हैं. निर्देशानुसार ही कार्य करते हैं. आज्ञाकारी होते हैं, नियमों का उल्लंघन नहीं करते.
·         कामचलाऊ काम नहीं करते क्योंकि उससे कामचलाऊ उपलब्धियां होती हैं. आलस्य के वश हो कर कार्य में कमी नहीं छोड़ते.  
·         कार्य को बारीकी से समझ कर फिर करते हैं. कार्य में सफलता पाने के लिए हर पहलू पर पूरा पूरा ध्यान रखते हैं, कहीं भी ढील नहीं करते.
·         मजबूरी से नहीं, दिल से काम करते हैं.
·         इन पर नज़र नहीं रखनी पड़ती, इनका काम हमेशा ठीक ही पाया जाता है.
·         लोगों की उम्मीद से बेहतर काम कर के लाते हैं.
·         कार्य को पूरी क्षमता, सुघड़ता व खूबसूरती से करते हैं.
·         शोर्ट कट अपना कर गुणवत्ता से समझौता नहीं करते.
फायदे
·         कार्य में प्रवीणता/ दक्षता/ महारत हासिल करते हैं.
·         प्रयास विफल नहीं होते व कार्य करते हुए दिशा नहीं भटकते जिससे समय व श्रम बेकार नहीं जाता.
·         गलतियाँ न करने के कारण कम समय में लम्बी दूरी (अधिक प्राप्ति) तय करते हैं.
·         औरों से कम समय में लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं अतः अधिक सफल माने जाते हैं.
·         इनके किये कार्य की गुणवत्ता औरों के काम से बेहतर होती है.
·         बेहतरीन उपलब्धियां होती हैं. जो काम अन्य नहीं कर पाते ये उसे भी संभव बनाते हैं.
·         औरों के लिए आदर्श बनते हैं.
·         कार्य अच्छी रीति करते करते विशेष योग्यताएं व सामर्थ्य विकसित हो जाते हैं जो औरों में नहीं होते.
·         विशेष स्नेह व सम्मान के अधिकारी बनते हैं.
·         भविष्य में विशेष व बड़ी जिम्मेदारियां सौंपने के योग्य इन्हें समझा जाता है.

सटीकता कैसे आए?
·         बताई जा रही बात को पूरे ध्यान से सुनना.
·         अतिरिक्त अध्ययन करके अपने ज्ञान में इज़ाफ़ा करना.
·         ज़रूरी बातों को लिख लेना ताकि कुछ भूल न हो.
·         बताई गई सावधानियों व सुरक्षा सम्बन्धी हिदायतों का गंम्भीरता से पालन करना.
·         कार्य को पर्याप्त समय देना जितना कि सही गुणवत्ता पाने के लिए ज़रूरी हो.
·         उस कार्य को अति महत्व देना अर्थात ज़रूरी समझना कि उसे सटीकता से करना ही होगा.

·         एकाग्रता से कार्य करना. पूरा ध्यान कार्य पर ही हो, इधर उधर की फ़ालतू बातों या गैरज़रूरी चीज़ों में नहीं. एकाग्रता का अभ्यास किया जाना चाहिए, जैसे की मेडिटेशन या ईश्वर से योग लगाना.

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