Monday 1 June 2015

देवता पूजनीय या अनुकरणीय? / Worshipable or Imitable?




हम देवी देवताओं की पूजा करते हैं तब क्या करते हैं? हम पहले उनकी स्तुति या श्रेष्ठता का गायन करते हैं. फिर स्वयं की निंदा करते हैं. उन्हें गुणवान और स्वयं को गुणहीन बताते हैं. और फिर उनसे याचना करते हैं अर्थात अलग अलग तरह की मांगें करते हैं. अर्थात हम कहते हैं कि हम तो पापी ही रहेंगे आप हमारे पाप काटते रहना. हम गुणहीन बने रहेंगे आप हमारे कष्ट हरते रहना. अर्थात हम नहीं सुधरेंगे आप ही हमारे लिए सब करते रहना. हम रोज़ गलत व्यवहार करेंगे और फिर आपके सामने आकर खड़े हो जाएंगे कि हम कर्म करके पाने में अक्षम रहे अब आप ही प्रदान करें हम जो भी आप से मांगें. हम कभी नहीं कहते कि हम आप के समान सर्वगुण सम्पन्न बनना चाहते हैं ताकि हमें किसी से कुछ माँगना न पड़े बल्कि हम ही दाता बन पाएं. हमें पूजा करना आसान लगता है और स्वयम को बदलना मुश्किल.

दिव्यता सिर्फ पूजनीय नहीं अनुकरणीय भी होनी चाहिए, 
वो भी थोड़ी - थोड़ी नहीं पूरी तरह. 

क्यों  न  पता  करें  दिव्य गुणों की  सूची  और  जाँच  लें  हम में  वो  कितने  प्रतिशत  तक  मौजूद हैं. 

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