हम अर्थात कोई भी आत्मा अपने
कर्मों का फल भोगने के लिए पुनः जन्म लेती है. हर जन्म हम अपने आस पास रहने वाले
लोगों से कर्मों के खाते / हिसाब किताब बनाते हैं. किसी से हम कुछ भी मदद लेते हैं
(कार्य, धन, वस्तु, सेवा आदि) उसका हम पर कर्ज़ बन जाता है और कोई हमारा कर्ज़वान
बनता है. ये सभी कर्ज़ एक जन्म में उतार देना असम्भव होता है. समय या अवसर नहीं मिल
पता. जिनसे कुछ लेना या देना बाकी रह जाता है आत्मा उन्हीं के आस पास फिर से जन्म
लेती है. हमे पता इसलिए नहीं चलता कि हम पूर्व जन्म को भूल चुके होते हैं. लेकिन
फिर भी हिसाब किताब आत्मा की गहराई में छिपे रहते हैं जिन्हें वह अपने नए कर्मों के
द्वारा निपटाती चलती है. अगर पूर्व जन्म याद रहने लगें तो नए जन्म के नए सम्बन्ध स्वीकार
करने में मुश्किल होगी. पुराने परिवार का मोह खींचने लगेगा. सामाजिक ढांचा बिखर
जाएगा. अतः इस जन्म में जो लोग हमें दुःख देते प्रतीत हो रहे हैं या हमें उनके लिए बहुत करना पड़ रहा है तो समझना चाहिए
कि हमारा कुछ पूर्व जन्म का बकाया / बैलेंस बचा है जिसे वह वसूल रहा है.
No comments:
Post a Comment