हर दिन के काम काज और मेल जोल के बाद हमारी आत्मिक बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है. परमात्मा कि प्रेम भरी याद में बैठ हम मानो अपना रूहानी चार्जर एक अलौकिक प्लग में लगा देते हैं और ईश्वर अपनी ताकत से हमें भर देते है. उस ताकत से हम अगले दिन के क्रियाकलापों और मेलजोल को अच्छी रीति निभा पाते हैं तथा स्वयम को और औरों को संतुष्ट कर पाते हैं.
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