Thursday 25 June 2015

Recharge yourself

हर दिन के काम काज और मेल जोल के बाद हमारी आत्मिक बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है. परमात्मा कि प्रेम भरी याद में बैठ हम मानो अपना रूहानी चार्जर एक अलौकिक प्लग में लगा देते हैं और ईश्वर अपनी ताकत से हमें भर  देते है. उस ताकत से हम अगले दिन के क्रियाकलापों और मेलजोल को अच्छी रीति निभा पाते हैं तथा स्वयम को और औरों को संतुष्ट कर पाते हैं. 

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