- पतंजलि ने सुखपूर्वक लम्बे समय तक बैठने की क्रिया को आसन कहा है। यह देह को स्थिर करने का भी अभ्यास है. ध्यान - समाधि आदि में लम्बे काल के अभ्यास करने के लिए किसी आरामदायक आसन में बैठने की ज़रूरत होती है.
- बाद के योगियों ने अनेक आसनों की कल्पना की है। वास्तव में आसन हठयोग का एक मुख्य विषय है।
- अगर हम लम्बे समय तक शारीरिक मेहनत का कार्य नहीं करते तो तन रोगी और कड़ा होने लगता है. आसनों से काया लचीली व स्वस्थ बनती है. अलग अलग अंगों के स्वास्थ्य के लिए अलग अलग शारीरिक मुद्राओं का आविष्कार किया गया. अपने आस पास के पशु पक्षियों आदि को देख कर अलग अलग आसन ईजाद किये गए हैं, और उन्हीं पर उनके नाम रखे गए हैं, जैसे, वकासन, शशांक आसन, कच्छप आसन, सिंहासन.
- आसनों को करने के लिए भी मन व शरीर का अनुशासन करना पड़ता है. अतः आसन भी योग के अगले चरणों में कुछ मदद तो करते ही हैं.
Saturday, 13 June 2015
योग आसन / Yog Aasan
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