Saturday 27 June 2015

Concentrate on changing yourself - see others changing.

स्वयम परिवर्तन से विश्व परिवर्तन 

हम दूसरों से बदलने की उम्मीद करते हैं. कई बार तो पूरी उम्र उन्हें बदलने के प्रयासों में लगे रहते हैं. हमें लगता है हम तो ठीक हैं अगर दूसरे सुधर जाएं तो जीवन ठीक चले. लेकिन हमें स्वयं को दूसरों की नजरों से भी देखना होगा. वे भी हमारे बारे में ऐसा ही सोचते हैं. 
यह भी सच है कि हमें परिवर्तित होते देख दूसरे भी परिवर्तित होने लगते हैं. खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है.
एक एक व्यक्ति कर के हर व्यक्ति के स्वयं परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन सम्भव होता है.
लाल बहादुर वर्मा ने अपने लेख 'अपने को गंम्भीरता से लें' (अहा ज़िन्दगी) में इसे ऐसे कहा है-
एक सूफी कहावत है कि खुद को बेहतर बनाना ही बेहतर दुनियां बनाने की और पहला कदम होता है. अपने को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है नकारात्मक को कम करते जाना और सकारात्मक को संजोते संवारते जाना. अपने गुण दोष, सही गलत, दुःख सुख के लिए पहले खुद को जांचना फिर आनुवंशिकता को, फिर पालन पोषण को, फिर शिक्षा दीक्षा को, फिर मित्र शत्रु को और अंत में सरकार/व्यवस्था को. बाहरी कारणों का तो कुछ कर पाना मुश्किल होता है. व्यवस्था परिवर्तन में समय लगता है. परन्तु स्वं के परिवर्तन का काम तो तत्काल प्रारंभ किया जा सकता है. खुद को संवार कर हम असल में समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं.
किसी बदलाव का कुछ तयशुदा नुस्खा नहीं, लेकिन
बदल पाता है जो खुद को वही सबको बदलता है.- महेश अश्क  




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