Friday 26 June 2015

Why do we worship?



हम पूजा - अर्चना क्यों करते हैं?

हमने उन व्यक्तियों या वस्तुओं कि पूजा की -
  • जिन्हें हम अपने से श्रेष्ठ मानते हैं (उनके सदगुणों के कारण उनके प्रति प्रेम और सम्मान दर्शाने के लिए).
  • जिन्हें हम अपना पूर्वज मान कर सम्मान देते हैं (बताने के लिए कि हम उन्हें याद करते हैं और ये मानते हुए कि पूर्वज हमारे संरक्षक हैं, वे अब भी हमारी मदद कर सकते हैं).
  • जिन पर हमारी किसी न किसी रूप में निर्भरता है (उनके प्रति अपनी कृतज्ञता जताने के लिए और ताकि उनसे होने वाली प्राप्तियाँ न रुकें ).
  • आराध्य वस्तु का संरक्षण हो पाएगा इसलिए भी जैसे प्रकृति के पांच तत्व व  पशु पक्षी- ये पूजनीय होंगे तो इंसान  इन्हें  हानि नहीं पहुँचाएँगे. 
  • जिन से हम भयभीत होते हैं (उनके नाराज़ होने से हमारा नुक्सान हो सकता है).
  • हम जीवन में कोई न कोई कमी महसूस करते हैं या जो सुख शांति हमारे पास है उसके खो जाने का भय है. कहते हैं न दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय.
इन सब कारणों के चलते द्वापर युग से अब तक बढ़ते बढ़ते पूजनीय चीज़ों कि संख्या में वृद्धि हुई है. 
देवी देवताओं के रूप में हम ने श्रेष्ठ राजाओं को पूजा, उनके वाहनों के रूप में हमने पशु - पक्षियों को पूजा, पृथ्वी - जल- अग्नि- वायु- आकाश को पूजा, वृक्षों- नदियों- पहाड़ों को पूजा, धर्म ग्रंथों को पूजा, इंसानी शक्तियों को पूजा, धन को- विद्या को पूजा, कन्या- माता - पिता- गुरु - कुल देवताओं को पूजा, साधू- सन्यासी- महापुरुषों को पूजा, पत्थरों और कब्रों को पूजा.  अब तो हम फिल्मों के नायक नायिकाओं के भी मन्दिर बनाए लगे हैं.
ये सब करते करते हम अजन्मे, अशरीरी, प्रकाश स्वरूप , परम पिता, गुणों के सागर, सर्वशक्तिमान परम आत्मा को भूल तो नहीं गए जिन्हें हम ईश्वर, अल्लाह, प्रभु और भगवान भी कहते हैं.




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