संतोषी व्यक्ति संतुष्टि
या तृप्ति का अनुभव करता है.
लक्षण
संतुष्ट व्यक्ति सिर्फ
शरीर के निर्वाह हेतु कमाएगा. निन्यानवे के फेर में नहीं पड़ेगा. व्यापार को ज्यादा
नहीं फैलाएगा. ज्यादा कमाने की बजाए परिवार को समय देगा. लोभ वृत्ति नहीं होगी. गलत
तरीकों से धन कमाने के बारे में विचार नहीं करेगा जैसे रिश्वत लेना या धोखाधड़ी
करना.
वैराग्य वृत्ति
होगी. ऐश्वर्य, वैभव या दिखावे के चक्कर में नहीं पड़ेगा. औरों से प्रतियोगिता नहीं
करेगा. खर्च भी कम करेगा. अपनी चादर जितने ही पैर पसारेगा.
संतोष
रखने के फायदे
संतुष्ट व्यक्ति शांत,
आनंदित व हर्षित दिखाई देगा. इससे वह सुंदर दिखाई देगा व आकर्षण की मूरत बनेगा. वह
निश्चिन्त या बेफिक्र दिखेगा और सुख चैन से रहेगा. वह निस्वार्थ हो कर सेवा कर
पाएगा. उसके लिए ईश्वर में ध्यान लगन आसान होगा.
संतोष
की सोच कैसे बने?
निम्नलिखित बातों को
याद रखें तो संतुष्ट रहेंगे.
·
रहिये
वैसे जेहि विधि राखे राम.
·
समय से
पहले भाग्य से ज्यादा कोई पा न सके.
·
प्रारब्ध
से जो मिले उसे ख़ुशी से स्वीकारना चाहिए.
·
जो न
मिला उसके लिए रोना अर्थात आत्मा की ताकत खोना.
·
जो हो
रहा है वही सही है उसी में कल्याण छिपा है.
·
कर्म सिद्धांत भी कहता है जो हमने बोया है उसे ही काट
रहे हैं.
·
मौजूदा
परिस्थिति और सुविधाओं के अनुरूप जितना बेहतर किया जा सकता है करना चाहिए.
·
इच्छाओं
व प्राप्तियों का कोई अंत नहीं होता.
No comments:
Post a Comment