Tuesday 12 May 2015

सहिष्णुता / सहनशीलता / Tolerance



अर्थ – बिना दुःख पाए किसी व्यक्ति या परिस्थिति के साथ एडजस्ट / समायोजन करना. जो व्यक्ति समय , स्थान या परिस्थिति जैसी है उसे ज्यों के त्यों एक्सेप्ट / स्वीकार करना. क्यों? कैसे? का प्रश्न न खड़ा करना. शरीर या मन की प्रतिकूलता को बर्दाश्त करना जैसे सर्दी गर्मी, भूख प्यास, आर्थिक तंगी, अपमान, डांट फटकार अर्थात मन या शरीर के कष्ट / डिसकम्फर्ट को सहज भाव से झेल लेना, उसे अधिक महसूस न करना.

लक्षण

लचीलेपन वाले होते हैं. धीरज वाले होते हैं. बातों को दिल पर नहीं लेते. वाद विवादों में नहीं पड़ते. झगड़ों से दूर रहते हैं. क्रोध नहीं करते. बदला नहीं लेते. क्षमा कर देते हैं. लड़ाई-झगडा मार-पीट गाली गलौच नहीं करते. निंदा नहीं करते. किसी के दिए दुःख को बरसों तक याद नहीं रखते. सदा दुर्भाग्य का रोना नहीं रोते. व्यक्तियों, परिस्थितियों व दुनिया को कोसते. 


फायदे


जीवन तनाव मुक्त बनता है. आपके प्रति आदर भाव पनपता है. स्वयं झुककर दूसरों को झुकाया जा सकता है. सम्बन्ध मधुर बनते हैं. दोस्तियाँ लम्बी निभती हैं. दुश्मन कम बनते हैं. लड़ाई आदि में समय व्यर्थ नहीं जाता. उर्जा बचती है. एकरस स्थिति में रहना सम्भव हो पता है.

कैसे बने सहनशील?

·         आत्मिक स्मृति द्वारा रहम की दृष्टि रखें. सामने वाले को नासमझ जानकर माफ़ कर दें. एक आत्मा न मिले दूसरी से. सब का स्वभाव भिन्न होता है अतः ज्यादा अपेक्षाएं न करे.
·         सामने वाले का गुस्सा सिर्फ थोड़ी देर ही रहेगा फिर वही पछतायेगा यह जानकर स्वयं पर नियंत्रण कर लें.
·         दुःख हमेशा नहीं रहता ये मानकर सहना आसान होता है.
·         ईश्वर पर भरोसा रखने से सहनशक्ति आती है.

·         कर्मों की गति को ध्यान में रखकर सोच लें कि कोई पुराना कर्ज़ चुका कर हल्के हो गए.  

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