श्रेष्ठता
अर्थ – उत्तमता,
उत्कृष्टता, महानता, विशिष्टता, सात्विकता, सतोप्रधानता, उच्चता, दिव्यता,
कुलीनता. साधारण या अच्छा होने से भी बेहतर.
डॉक्टर गिरीश पटेल
ने सात प्रकार के विचार बताए हैं. जहरीले विचार, नकारात्मक विचार, व्यर्थ विचार,
साधारण विचार, उयोगी विचार, सकारात्मक विचार व श्रेष्ठ विचार या उच्च विचार. जिस
व्यक्ति/ आत्मा के उच्च विचार हैं वह श्रेष्ठ व्यक्ति है.
मन तीन प्रकार के
बताए गए हैं. तामसिक मन औरों को दुःख में देखकर या दुःख देकर प्रसन्न होता है,
राजसिक मन औरों पर शासन या नियंत्रण चाहता है जबकि सात्विक या श्रेष्ठ मन सबके सुख
और शांति की कामना करता है.
तामसिक व्यक्ति
जिव्हा या स्वाद के लिए खाता है, राजसिक मन वाला पेट भरने के लिए खाता है
जबकि
श्रेष्ठ या सात्विक व्यक्ति पोषण व पवित्रता पाने के लिए खाता है.
एलिनर रूजवेल्ट ने
कहा है छोटे व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के बारे में बातें करते हैं, साधारण व्यक्ति
घटनाओं के बारे में बातें करते हैं जबकि महान व्यक्ति ज्ञान या आइडियाज के बारे
में बातें करते हैं.
श्रेष्ठ आत्मा में
नैतिकता, शालीनता, गुण सम्पन्नता और विकार रहितता का स्तर बहुत ऊंचा होता है.
छोटे व्यक्ति अपने
अधिकारों पर अधिक ध्यान देते हैं जबकि श्रेष्ठ व्यक्ति अपने कर्तव्यों को अधिक याद
रखते हैं.
श्रेष्ठ व्यक्ति ही अपने नाम से पहले श्री लगाने का वास्तविक अधिकारी होता है. उसे स्वतः ऊंची व विशिष्ट प्राप्तियां होती हैं.
श्रेष्ठ व्यक्ति ही अपने नाम से पहले श्री लगाने का वास्तविक अधिकारी होता है. उसे स्वतः ऊंची व विशिष्ट प्राप्तियां होती हैं.
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