· अन्तर्मुखी लोग अपनी ज्ञानेन्द्रियों का बाहरी विस्तार घटाते हैं. जितना
जरूरी हो उतना अर्थात कम बोलते हैं. आसपास के वातावरण में जो उपयोगी है वही
जानकारी इकट्ठी करते हैं. आसपास की सभी जानकारी प्राप्त करना उचित नही समझते.
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चिंतन मनन अधिक करते हैं. अपनी सोच व संवेदनाओं पर ध्यान
देते हैं. शारीरिक ताकत बढाने की बजाय मानसिक ताकत बढ़ाने पर ध्यान देते हैं.
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भीड़ की बजाए एकांत पसंद होते हैं. इन्हें बहुत शोर वाले
मनोरंजन की जरूरत नहीं होती. कम किन्तु अच्छे मित्र बनाते हैं. ये पढने लिखने के
शौक़ीन होते हैं. किताबों को अपना मित्र बनाते हैं.
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कम बोलते है. बोलने से पहले सोचते हैं.
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भेड़चाल में नहीं चलते है जो रास्ता सही व नैतिक प्रतीत
होता है उसे चुनते हैं.
फायदे
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उर्जा का प्रवाह भीतर की तरफ होता है जिससे आत्मिक उर्जा
बढती है. उर्जा व्यर्थ जाने की बजाये सकारात्मक कार्यों में लगती है.
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नये विचार आते हैं नए आविष्कार या खोज कर पाते हैं.
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स्वयं का विश्लेषण कर अपनी सुधार प्रक्रिया पर ध्यान दे
पाते हैं.
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बाहर से आँखें बंद होकर भीतर की खुल जाती हैं. ज्ञान या तीसरा
नेत्र खुल जाता है. आत्मा को वास्तविक ज्ञान प्राप्त होता है. जागृति आती है. अंतर्मुखता
आत्मा के भीतर ज्ञान गुण शक्तियां प्रकट होने लगती हैं.
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जो अंतर्मुखी वही योगी या तपस्वी हो सकता है.
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मौन रहने से एकाग्रता आती है जिससे विचार शक्ति बढती है.
अपने विचारों की संख्या तीव्रता, दिशा और क्वालिटी चैक कर पाते है. इससे विचारों को नियंत्रित कर पाना सम्भव हो पाता
है.
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विचार ताकतवर बनते हैं जिससे प्रकृतिजीत बनते हैं.
प्रकृति भी आत्मा के संकल्पों / विचारों अनुरूप चलने लगती है.
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